S454, जीवन की अनमोल बातें --सद्गुरु महर्षि मेंही

     प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S454, इसमें  बताया गया है कि  'मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है अर्थात मनुष्य को क्या करना चाहिए जिससे उसका यह जीवन सफल हो जाए। मनुष्य जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी जीवन में हम ईश्वर भक्ति करके मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं । दूसरे जीव- जंतु ईश्वर भक्ति नहीं कर सकते ! इसलिए मनुष्य जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऐसे अनमोल शरीर को पाकर मनुष्य का एकमात्र उद्देश्य ईश्वर भक्ति करना ही होना चाहिए । उसका लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति ही होना चाहिए। ईसी में मनुष्य जीवन की सार्थकता है। 

जीवन का लक्ष्य
जीवन का लक्ष्य
 


  सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के इस प्रवचन में ईश्वर का स्वरूप कैसा है? इस बारे में भी एक तर्क है। गुरु महाराज की वाणी को बहुत ही सावधानी से पढ़ें तो समझ में आ जाएगा कि ईश्वर वास्तव में कैसा है?

ईश्वर का स्वरूप
ईश्वर का स्वरूप
     ईश्वर का दर्शन होने पर व्यक्ति के अंदर ईश्वर के जैसा गुण आ जाता है। वह गुण का प्रत्यक्षीकरण जिसको हो, तब ही समझना चाहिए कि ईश्वर दर्शन हुआ।।


ईश्वर दर्शन सरल नहीं है।
ईश्वर दर्शन सरल नहीं है
     सुनने की क्षमता मनुष्य के शरीर में निश्चित है। ईश्वर को प्रत्यक्ष करवाने वाला शब्द  आत्मगम्य है।


ईश्वर आत्मगम है
ईश्वर आत्मगम्य है
     ईश्वर को पाने का मार्ग है अत्यंत सरल है लेकिन जिनको उत्साह नहीं है उसके लिए कठिन है।


ईश्वर प्राप्ति के मार्ग
ईश्वर प्राप्ति के साधन
     
     प्रभु प्रेमियों ! जिन लोगों को उपर्युक्त चित्रों से गुरु महाराज का प्रवचन पढ़ने में दिक्कत हो, उनसे निवेदन है कि वह निम्नोक्त वीडियो देखें-



 प्रभु प्रेमियों! हम आशा करते हैं कि आपने गुरु महाराज के प्रवचन से जीवन की अनमोल बातों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
S454, जीवन की अनमोल बातें --सद्गुरु महर्षि मेंही  S454, जीवन की अनमोल बातें --सद्गुरु महर्षि मेंही Reviewed by सत्संग ध्यान on 11/23/2017 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।

Blogger द्वारा संचालित.