प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S359, इसमें बताया गया है कि अंतरी सत्संग में या ध्यान योग में सदाचार पालन कितना जरूरी है? इस विषय का प्रवचन सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज का है। आइए आज उसी को सुनते हैं-
कुप्पाघाट में टहलते हुए गुरुदेव।
प्ररभु प्रेमियों! उपर्युक्तत तस्वीर में आपने गुरु महाराााज का दर्शन किया। अब गुरु महाराज का निम्नोक्त प्रवचन पढ़़े। यह प्रवचन संतमत सत्संंग मंदिर, कटिहार, में दिनांक 16 /5/ 1972 ई. को हुआ था
गुरुदेव प्रवचन-1
गुरुदेव प्रवचन-2
गुरुदेव प्रवचन 3
गुरुदेव प्रवचन 4
गुरुदेव प्रवचन 5
प्रभु प्रेमियों जिन लोगों को उपर्युक्त प्रवचन है पढ़ने में दिक्कत होती है उन से निवेदन है कि वह हमारा निम्न वीडियो देखें इसमें उपर्युक्त प्रवचन को रिकॉर्ड किया गया है-
प्रभु प्रेमियों उपर्युक्त वीडियो देखकर तथा गुरु महाराज के प्रवचन को पढ़कर आप लोग समझ गए होंगे कि ध्यान योग में ईश्वर भक्ति में सदाचार पालन करना कितना जरूरी है और उसके बिना संसार में भी प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं होती है। इसके साथ हैं यह सदाचार विषयक पोस्ट समाप्त हुआ। फिर मिलेंगे गुरु महाराज के दूसरे प्रवचन में । तब तक के लिए जय गुरु महाराज।
S359, सत्संग की बातें- ध्यान योग में सदाचार पालन।
Reviewed by सत्संग ध्यान
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12/10/2017
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