S148, (ख) कबीर साहब के पद्य 'मेरी सूरत सुहागन जाग री' पर विशेष प्रवचन

     प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-'महर्षि मेंही सत्संग सुधा सागर' के प्रवचन नंबर S148 को। जिसमें सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज ने संत कबीर साहब की वाणी मेरी सूरत सुहागिनी जाग री पर  विशेष रूप से प्रकाश डालने की कृपा की है। सूरत का वास्तव में जगना क्या है? इसका पहुंचे हुए संतों की दृष्टि में क्या अर्थ है। इसे समझने के लिए इस प्रवचन को पूरे मनोयोग से पढ़ें । प्रभु प्रेमियों ! इस पोस्ट में प्रवचन के दूसरे भाग को प्रस्तुत किया गया है। पहला भाग पढ़ने के लिए     यहां दबाएं ‌‌।
 प्रवच पढ़ने के पहले गुरु महाराज का दर्शन करते हैं-



सत्संग में विराजित गुरुदेव
सत्संग में विराजित गुरुदेव
प्रवचन चित्र 5
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प्रवचन चित्र 6
प्रवचन चित्र 6

प्रवचन चित्र 7
प्रवचन चित्र 7

प्रवचन चित्र 8
प्रवचन चित्र 8

प्रवचन चित्र 9
प्रवचन चित्र 9

प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

     प्रभु प्रेमियों ! उपर्युक्त प्रवचन का पाठ करके आप लोग संत कबीर साहब की बानी 'मेरी सूरत सुहागिनी जाग री' के पद्य को  अच्छी तरह समझ गए होंगे‌। ऐसा हम आशा करते हैं। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें । हम गुरु महाराज के ही शब्दों में उत्तर देने का प्रयास करेंगे। नीचे इसी प्रवचन का पाठ है । उसका वीडियो देखें।




S148, (ख) कबीर साहब के पद्य 'मेरी सूरत सुहागन जाग री' पर विशेष प्रवचन S148, (ख) कबीर साहब के पद्य 'मेरी सूरत सुहागन जाग री' पर विशेष प्रवचन Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/12/2018 Rating: 5

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