प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S306, इसमें बताया गया है कि ईश्वर भक्ति के प्रारंभ में ही ऐसा सुख मिलता है, जिसकी तुलना संसार के किसी भी सुख से नहीं की जा सकती। अर्थात खाने-पीने, घूमने, राज करने इत्यादि में भी वैसा सुख नहीं है। अपने शरीर की मंदिर में पूजा करने का सही विधान है ध्यान करना। ध्यान कैसे करेंगे ? जो ईश्वर का असली भक्ति होगा। ईश्वर-परमात्मा की भक्ति कैसे करें? ईश्वर-भक्ति का सही तरीका क्या है? जिससे सभी कष्टों से छुटकारा हो जाए । इस बात की सही जानकारी सद्गुरु से ही हो सकती है। गुरु महाराज के प्रवचन को पढ़ने के पहले, आइए गुरु महाराज का दर्शन करें-
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प्रवचन मुद्रा में गुरुदेव |
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प्रवचन चित्र 1 |
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प्रवचन चित्र दो |
- प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज का यह प्रवचन लंबा है। अतः इसके शेष भाग को दूसरे पोस्ट में पढ़ेंगे । दूसरे पोस्ट पर जाने के लिए यहां दबाएं।
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