प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S174, इसमें बताया गया है कि मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा का सही सरुप क्या है? हम लोगों का शरीर ही मंदिर है। बाहर के मंदिर में जाने की जरुरत नहीं है और हम मानसिक पूजा कैसे करें ? इसकी साधना की विधि क्या है? इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
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प्रवचन चित्र 4 |
प्रवचन चित्र 5 |
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S 174,(ख) मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा का सही सरुप क्या है? -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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4/03/2018
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