प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S407, इसमें बताया गया है कि मनुष्य शरीर से ही ईश्वर-भक्ति कर मोक्ष प्राप्त करें। मनुष्य शरीर की विशेषता और सदुपयोग क्या है? ईश्वर का स्वरूप क्या है? मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकते हैं ? ईश्वर भक्ति- सगुण या निर्गुण । दोनों का क्या महत्व है?
प्रवचन चित्र |
प्रवचन चित्र दो |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने गुरु महाराज के प्रवचन का पाठ किया और जाना कि मनुष्य शरीर की क्या महिमा है? मनुष्य शरीर से ही निर्गुण अथवा सगुण उपासना कैसे कर सकते हैं और मोक्ष की प्राप्ति कर कैसे परम सुखी हो सकते हैं । इतनी जानकारी के बाद भी अगर किसी प्रकार का संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें । इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वह भी लाभ ले सके । फिर मिलेंगे, जय गुरु।
S407, मनुष्य शरीर से ही ईश्वर-भक्ति कर मोक्ष प्राप्त करें। -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/15/2018
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।