S426, मनुष्य शरीर का असली प्राप्तव्य और सुक्तिकण -महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S426, इसमें  बताया गया है कि मनुष्य शरीर का असली प्राप्तव्य क्या है? मनुष्य शरीर पाकर धनवान हो जाना, ज्ञानवान हो जाना, प्रतिष्ठा वान हो जाना ही काफी है अथवा इससे भी कुछ विशेष प्राप्त किया जा सकता हैं। इस बारे में विस्तार से चर्चा किया गया है और कुछ सुक्तिकण भी दिया गया है। मनुष्य ईश्वर की भक्ति करें, इसी में मनुष्यता है।

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प्रवचन चित्र
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प्रवचन समाप्त
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     प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने गुरु महाराज के प्रवचन का पाठ करके जाना कि मनुष्य शरीर का असली प्राप्तव्य क्या है । जिसके बिना मानवता नहीं और मनुष्य शरीर पाने का मुख्य उद्देश्य नहीं ।  इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ ले सके । सत्संग ध्यान ब्लोग के सदस्य बने । इससे आप को निशुल्क लोड होने वाले प्रवचनों की सूचना प्राप्त होती रहेगी।

S426, मनुष्य शरीर का असली प्राप्तव्य और सुक्तिकण -महर्षि मेंहीं S426, मनुष्य शरीर का असली प्राप्तव्य  और सुक्तिकण  -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/17/2018 Rating: 5

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