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S273, सत्संग की बातें- गृहस्थ के कर्तव्य--सद्गुरु महर्षि मेंही के भारती(हिंदी) प्रवचन

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर  S273,  इसमें  बताया गया है कि सत्संग की बातें-  गृहस्थ के कर्तव्य।  ध्यान योग की चर्चा करते हुए कहते हैं कि ध्वन्नात्मक नाम का जप ही परमात्मा से मिला सकता है।  ईश्वर परमात्मा के दर्शन से क्या लाभ होते हैं ?  ईश्वर का दर्शन कैसे हो सकता है? उसकी युक्ति पर भी चर्चा , ध्यान (मेडिटेशन) से संबंधित बातों के बाद में भगवान बुद्ध के वचन में गृहस्थों के लिए गौतम बुद्ध ने क्या कहा है ? उसकी चर्चा है जो अलग से दिया गया है।

शांति संदेश कबर
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प्रवचन चित्र
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प्रवचन चित्र समाप्त
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      प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  सत्संग की बातें-  गृहस्थ के कर्तव्य।  ध्यान योग की चर्चा करते हुए कहते हैं कि ध्वन्नात्मक नाम का जप ही परमात्मा से मिला सकता है।  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


S273, सत्संग की बातें- गृहस्थ के कर्तव्य--सद्गुरु महर्षि मेंही के भारती(हिंदी) प्रवचन S273, सत्संग की बातें-  गृहस्थ के कर्तव्य--सद्गुरु महर्षि मेंही के भारती(हिंदी) प्रवचन Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/19/2018 Rating: 5

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