प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S363, इसमें बताया गया है कि वैदिक धर्म, सनातन धर्म और संतमत व गो. तुलसीदास। तुलसी जयंती के अवसर पर दिए गए इस प्रवचन में गुरु महाराज गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज को वैदिक धर्म, सनातन धर्म और संतमत को उनकी कृपा का फल मानते हैं तथा गुरु नानक साहब, कबीर साहब, रामकृष्ण परमहंस जी महाराज एवं अन्य संतों को संतमत के ज्ञान को बनाए रखने में परम उपयोगी महापुरुष बताते हैं।
शांति संदेश कवर |
प्रवचन चित्र |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि वैदिक धर्म, सनातन धर्म और संतमत व गो. तुलसीदास। । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S363, वैदिक धर्म, सनातन धर्म और संतमत व गो. तुलसीदास -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/19/2018
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।