प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S474, इसमें बताया गया है कि ईश्वर का स्वरूप और जप के प्रकार के साथ विंदु ध्यान कैसे किया जाता है। परमानंद प्राप्त करने के लिए ईश्वर भक्ति जरुरी है। ईश्वर कैसा है? इसके बारे में जाने के लिए ईश्वर स्वरुप को जानना जरुरी है। ईश्वर स्वरुप को जानने के बाद उसके प्राप्ति का साधन क्या है? जप और बिंदु ध्यान के साथ और कौन सी साधना करनी जरुरी है। इन विषयों पर चर्चा की गई है ।
प्रवचन चित्र 1 |
प्रवचन चित्र दो |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ईश्वर का स्वरूप और जप के प्रकार के साथ विंदु ध्यान कैसे किया जाता है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S474, ईश्वर का स्वरूप और जप के प्रकार के साथ विंदु ध्यान -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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6/13/2018
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