प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S285, इसमें बताया गया है कि संतों का ज्ञान झूठा नहींं, अंतर में प्रकाश और शब्द अवश्य है। करके देखने से सब बातें सत्य है। हम लोग जब तक अंधकार में रहेंगे तब तक है विविध तरह के विकारों से ग्रसित होते ही रहेंगे । सभी विकारों से छूटने के लिए और परमानंद दायक परमात्म सुख प्राप्त करने के लिए साधन करके प्रकाश और सब्द द्वारा ईश्वर प्राप्ति करनी ही होगी । इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए
व्हीलचेयर पर गुरुदेव |
प्रवचन समाप्त |
प्रेरक प्रसंग |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि संतों का ज्ञान झूठा नहींं, अंतर में प्रकाश और शब्द अवश्य है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
संतों का ज्ञान झूठा नहीं तथा प्रेरक प्रसंग- आपस में मेल से रहो। -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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7/22/2018
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