नवधा भक्ति के ज्ञान प्रसंग
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S463वां, इसमें बताया गया है कि नवधा भक्ति रामचरितमानस में भक्ति और प्रेम की अद्भुत कहानी के रूप में प्रचलित है। इस प्रसंग में भगवान श्री राम और शबरी के अद्भुत भक्ति और प्रेम की कथा है । अब तक के प्रवचनांश को पढ़ने केेे लिए यहां दबाएं।
अनंत आकाश में विराजित गुरुदेव |
प्रभु प्रेमियों ! अब तक हम लोगों ने शबरी के प्रेम कथा के बारे में जानकारी प्राप्त कीं। अब अपने प्रेमी भगवान श्रीराम को प्राप्त करने में शबरी ने क्या कष्ट उठाई, क्या साधना कीं और उनको ये सब करने की प्रेरणा, ज्ञान की बातें कहां से प्राप्त हुईं। उन प्रसंगों को पढ़ेंगे जो निम्नांकित चित्रों में है-
प्रवचन चित्र 3 |
भगवान श्रीराम को प्राप्त करने का जो युक्ति थी, जो ज्ञान की बातें थी, वह सारी बातें उनको उनके गुरु श्री मतंग मुनि जी ने बताया और उसके अनुसार आचरण करके, उनकी आज्ञा का पालन करके, अंतिम समय में वह भगवान को प्राप्त हो गई तथा उनके सामने ही अपना शरीर पूरा किया।
प्रवचन चित्र समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि साधारण मनुष्य से प्रेम करने के से अच्छा है भगवान से प्रेम करें और उनकी प्रेमाभक्ति को प्राप्त कर संसार से तर जाएं । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S463, (ख) आर्य और अनार्य, शबरी प्रेम कथा के साथ नवधा भक्ति, -महर्षि मेंही
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/01/2018
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