प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S466, इसमें बताया गया है कि मोक्ष क्या है? संतमत का सार है अपना सुधार, सुधार के लिए पापों को छोड़ें, गुरु के आज्ञा के अनुसार चलने से ही ईश्वर, परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है और हम लोग हर तरह के दुखों से छूठ सकते हैं । संतमत का सार क्या है? सुधार के लिए पापा को छोड़ें, सत्संग का क्या अर्थ है? ध्यान योग का इतिहास, ध्यान योग गीता अनुसार, गडरिया की कथा, गुरु महिमा एवं आज्ञापालन की विशेषता । इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए
तीर्थ स्थल |
प्रवचन चित्र 3 |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि मोक्ष क्या है? संतमत का सार है अपना सुधार, सुधार के लिए पापों को छोड़ें । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S466, (ख) मोक्ष क्या है? संतमत का सार, पापों को छोड़ें -सद्गुरु महर्षि मेंही
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/25/2018
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।