S266, (क) विविध नामों के साथ दृष्टियोग और नादानुसंधान की चर्चा -महर्षि मेँहीँ

       महर्षि मेंही सत्संग सुधा सागर/266

    प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर  S266, इसमें  बताया गया है कि 

आइये इस प्रवचन का पाठ करने के पहले गुरु महाराज का दर्शन करें-

इस प्रवचन के पहले वाले प्रवचन नं 165 को पढ़ने के लिए 👉 यहाँ दवाएँ। 


प्रवचन चित्र एक
प्रवचन चित्र एक


दृष्टि योग क्या है?

     दृष्टियोग की विविध नाम है जैसे- शांभवी मुद्रा, वैष्णवी मुद्रा,सगले नसीरा,दृष्टि योग  व सुक्ष्म ध्यान।
दृष्टि योग करने की युक्ति का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह गुरुगम है यानी केवल गुरु के बताने से ही यह जाना जा सकता है। इस साधना को करने के  पहले स्थूल उपासना अवश्य करनी चाहिए।

प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो

भक्ति की पूर्णता

      दृष्टियोग में पारंगत हो जाने पर यानि इसकी साधना में सफल हो जाने पर, नादानुसंधान की साधना करना चाहिए जो दृष्टियोग की अपेक्षा सरल है । नादानुसंधान की चर्चा करते हुए कहते हैं कि इसकी सफलता में ही ईश्वर दर्शन होते  हैं। यानि इसमें सफल होने पर ईश्वर की प्राप्ति हो जाएगी, ईश्वर के दर्शन हो जाएंगे भक्ति पूरी हो जाएगी।  

प्रवचन चित्र 3
प्रवचन चित्र 3



     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  दृष्टियोग की विविध नामों के साथ दृष्टि योग करने की युक्ति और फायदे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस प्रवचन चित्र के शेष भाग को पढ़ने के लिए       यहां दबाएं



S266, (क) विविध नामों के साथ दृष्टियोग और नादानुसंधान की चर्चा -महर्षि मेँहीँ S266, (क) विविध नामों के साथ दृष्टियोग और नादानुसंधान की चर्चा -महर्षि मेँहीँ Reviewed by सत्संग ध्यान on 8/07/2018 Rating: 5

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