महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर/266ख
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S266, इसमें बताया गया है कि ईश्वर-दर्शन के पहले का निशान क्या है? इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
शांति संदेश कबर |
ईश्वर का कोई निशान वा चिन्ह है
ईश्वर दर्शन के पहले कोई निशान वा चिन्ह अवश्य मिलता है। वह निशान वा चिन्ह क्या है? आइए गुरु महाराज के इस प्रवचन में जाने।
प्रवचन चित्र 4 |
जो साधक नादानुसंधान की क्रिया करने लग जाता है, तो उसे ईश्वर दर्शन का निशान मिल जाता है। यानि आंतरिक शब्दों को सुनने का अभ्यास करना व नादानुसंधान की क्रिया करने की योग्यता हो जाना ही 'अब ईश्वर दर्शन होंगे' इस बात की निशानी है।
प्रवचन समाप्त |
इस प्रवचन को महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर में प्रकाशित रूप में पढ़ने के लिए 👉 यहाँ दवाएँ।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ईश्वर-दर्शन के पहले का निशान क्या है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S266, (ख) ईश्वर-दर्शन के पहले का निशान क्या है? --सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/07/2018
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