महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 301
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 301,वां इसमें बताया गया है कि ईश्वर दर्शन इसलिए चाहिए कि आपको किसी तरह की भूख न रह जाय,जिससे आपको कष्ट हो।
प्रवचन चित्र एक |
ईश्वर-दर्शन क्यों चाहिए?
ईश्वर का दर्शन इसलिए चाहिए कि आपको किसी तरह की भूख नहीं रह जाए । वह कारण नहीं बच जाए, जिससे आप को कष्ट हो । आप उस मूल पुरुष को पाइएगा, जिसको पाकर कभी वह छूटेगा नहीं। उसके छूटने का गुण आप में नहीं होगा । यही ब्राह्म निर्वाण है ।यही कारण है कि संतों ने भक्ति मार्ग का उपदेश दिया है।
प्रवचन चित्र दो |
ईश्वर दर्शन कब तक कर ले-
इस संबंध में सतगुरु बाबा देवी साहब ने कहा है 'कब्र में जाने और चिता में जलने के पहले मोक्ष प्राप्त करो।' अर्थात शरीर रहते मोक्ष प्राप्त कर लें, ईश्वर दर्शन कर लें तो बहुत उत्तम है।
प्रवचन चित्र 3 |
अक्षर पुरुष
आप अपने शरीर में हैं। वही अक्षर पुरुष है। उस अक्षर पुरुष को उस प्रभु का दर्शन होना चाहिए। दर्शन करने की कोशिश को भक्ति कहते हैं। भक्ति को ही सेवा कहते हैं। इस सेवा में ईश्वर को कोई लाभ नहीं, लेकिन अक्षर पुरुष को बड़ा लाभ है।
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ईश्वर दर्शन इसलिए चाहिए कि आपको किसी तरह की भूख न रह जाय । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S301, मोक्ष-प्राप्ति की।।ईश्वर-दर्शन की।।क्या आवश्यकता है? -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/14/2018
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