महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 52
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S52, इसमें बताया गया है कि संतमत संत्संग में अध्यात्म ज्ञान पर चर्चा। इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा |
सच्चा सुख कहां मिलेगा?
पिछले प्रवचन में हम लोगों ने सुख के बारे में जानकारी प्राप्त किया था यहां अशोक को प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता है और आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में यहां चर्चा करते हुए कहते हैं-
प्रवचन चित्र 3 |
संतमत का अध्यात्म ज्ञान
अध्यात्म ज्ञान केवल सुनने से पूरा नहीं होता । इसके लिए साधन करना चाहिए, जिससे आत्मा की पहचान हो । केवल सुनने से पूरा ज्ञान नहीं होता । पहले सुनने से , विचारने से, साधन करने से और साधन के पूर्ण होने से अंत में पूर्ण ज्ञान होता है। इसी को श्रवण, मनन , निदिध्यासन और अनुभव ज्ञान कहते हैं।
प्रवचन चित्र समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि संतमत संत्संग में अध्यात्म ज्ञान । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S52, (ख) अध्यात्म ज्ञान केवल सुनने से पूरा नहीं होता -महर्षि मेँहीँ
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/10/2018
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