महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 501
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 501 वां, भारत देश के, बिहार प्रांत केरोहतास जिलांतर्गत डेहरी-ऑन-सोन ग्राम में आयोजित संतमत सत्संग में दिनांक- 27-09-1949 ई. को अपराह्न काल में हुआ था।
इस संतमत प्रवचन में आप जानेंगे-- 'यहि तन कर फल विषय न भाई,मनुष्य शरीर पाने का फल क्या है ? साधुओं की सेवा से क्या फायदा होता है, आदि के बारे।ईश्वर भक्ति का उपदेश करते हुए गुरुदेव |
मनुष्य शरीर की विशेषता और ईश्वर भक्ति
सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- मनुष्य जीवन की सार्थकता ईश्वर भक्ति में है।संसार के विषय भागों में अल्प संतुष्टि दायक सुख मिलता है। उसी सुख में जीवन को बिता देना निरा मूर्खतापूर्ण है। पूरी जानकारी के लिए इस प्रवचन को पूरा पढें-
ईश्वर भक्ति प्रवचन चित्र |
ईश्वर भक्ति प्रवचन चित्र |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि मनुष्य जीवन की सार्थकता ईश्वर भक्ति में है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में इस प्रवचन का पाठ किया गया है।
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S501, 'Characteristics and devotion of human body' महर्षि मेंहीं प्रवचन दि. 27-09-1949 ई.
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/21/2019
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