प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S268, इसमें बताया गया है कि उपकार, उपकारी, कृतज्ञ और कृतज्ञता क्या है ? हमारा सबसे बड़ा उपकारी कौन है? हमें उनके प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए? उनके प्रति हम कृतज्ञता कैसे ज्ञापित करें ? उपकार क्या है? कृतज्ञ कैसे बने ? कृतघ्न नहीं बनना चाहिए? आदि बातों को विस्तार से बताया गया है । प्रवचन पढ़ने के पहले गुरु महाराज का दर्शन करें-
गंभीर मुद्रा में गुरुदेव |
प्रवचन चित्र एक |
प्रवचन चित्र दो |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज का यह प्रवचन बहुत लंबा है। इसलिए इस प्रवचन के शेष भाग को दूसरे पोस्ट में पड़ेंगे । प्रवचन के शेष भाग को पढ़ने के लिए आप यहां दबाएं।
S268, (क) उपकार, उपकारी, कृतज्ञ और कृतज्ञता क्या है ?-सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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4/01/2018
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