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S379,सद्गुरु महर्षि मेंहीं की दृष्टि में भक्त सूरदास के 'अपुनपौ' शब्द का भावार्थ

     प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-  संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S379, इसमें  बताया गया है कि आध्यात्मिक विचारों के सहित भक्त सूरदास के भजन 'अपुनपौ' का सही तात्पर्य क्या है, भावार्थ क्या है? इसे भी बताया गया है। तो आइए प्रवचन पढ़ने के पहले गुरु महाराज का दर्शन करें-

आराम में गुरु महाराज
आराम में गुरु महाराज


प्रवचन परिचय चित्र
प्रवचन परिचय चित्र

प्रवचन चित्र 1
प्रवचन चित्र 1

प्रवचन चित्र2
प्रवचन चित्र 2

प्रवचन चित्र 3
प्रवचन चित्र 3

प्रवचन समाप्त।
प्रवचन समाप्त।

     प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज का यह प्रवचन केवल शांति संदेश में ही प्रकाशित है ।जिसका आप लोगों ने पाठ किया इसके पाठ से आप समझ गए होंगे- भक्त सूरदास जी महाराज के अपुनपौ शब्द का सही तात्पर्य क्या है, भावार्थ क्या है? निम्न वीडियो में इसी प्रवचन का पाठ है। जिनको पढ़ने नहीं आता है। वह इसे सुनें। 



S379,सद्गुरु महर्षि मेंहीं की दृष्टि में भक्त सूरदास के 'अपुनपौ' शब्द का भावार्थ S379,सद्गुरु महर्षि मेंहीं की दृष्टि में भक्त सूरदास के 'अपुनपौ' शब्द का भावार्थ Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/02/2018 Rating: 5

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