S356, जहां बिंदु और नाद की उपासना नहीं होती है, वह संतमत नहीं है।-महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S356, इसमें  बताया गया है कि जहां बिंदु और नाद की उपासना नहीं होती है, वह संतमत नहीं है। बात दरअसल यह है कि आजकल बहुत से संपदाओं मतों का प्रचार हो रहा है‌। गुरु महाराज संतमत का प्रचार करते हैं तो लोगों के मन में होता है कि आखिर संतमत क्या है? फिर संतमत की क्या विशेषता है? उसका असली पहचान क्या है ? इस संदर्भ में आप इस प्रवचन से समझ सकते हैं। संतमत बिंदु और नाद ध्यान का  विशेष रुप से प्रचार करता है। इन सब बातों को समझाने के साथ ही ईश्वर भक्ति के लिए ईश्वर का सरुप के बारे में संत क्या कहते हैं? ईश्वर-सरुप कैसा है ? इत्यादि  विषयों पर चर्चा हुई है। तो आइए इस प्रवचन को मनोयोगपूर्वक पढ़ें-

ध्यानस्थ गुरुदेव
ध्यानस्थ गुरुदेव



प्रवचन
प्रवचन

प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त
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S356, जहां बिंदु और नाद की उपासना नहीं होती है, वह संतमत नहीं है।-महर्षि मेंहीं S356, जहां बिंदु और नाद की उपासना नहीं होती है, वह संतमत नहीं है।-महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/03/2018 Rating: 5

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