S448, (ख) संत सुखी मन जीती हो-सद्गुरु महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- 'S448, संत सुखी मन जीती हो-सद्गुरु महर्षि मेंहीं' का शेष भाग पढ़ें-प्रथम भाग को पढ़ने के लिए ।    यहां दवाएं

शांति संदेश कबर
शांति संदेश कबर


प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने गुरु महाराज के प्रवचन का पाठ करके जाना कि इस संसार में कोई सुखी नहीं है सुखी है जो अपने मन को जीत लिया है  ।वह संत   कहलाते हैं।


S448, (ख) संत सुखी मन जीती हो-सद्गुरु महर्षि मेंहीं S448, (ख) संत सुखी मन जीती हो-सद्गुरु महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 4/12/2018 Rating: 5

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