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S227, आप कौन हैं? हम अपने को मन-इंद्रिय नहीं जाने -महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S227, इसमें  बताया गया है कि आप कौन हैं? हम अपने को मन-इंद्रिय नहीं जाने। तो हम अपने को कैसे पहचान सकते हैं? क्या हम मन बुद्धि हैं, अथवा शरीर हैं। हम अपनें को कैसे पहचान सकते हैं। अगर हम अपनी आत्मा को पहचान लें, तो परमात्मा को पहचान सकते हैं।  ध्यान कैसे करें? ध्यान कितने प्रकार के हैं? ध्यान से क्या फायदा है?  ईश्वर भक्ति कैसे करते हैं? ईश्वर भक्ति कितने प्रकार की है? ईश्वर भक्ति से परम सुख कैसे प्राप्त किया जा सकता है ।

प्रवचन चित्र
प्रवचन चित्र


प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो

प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  आप कौन हैं? हम अपने को मन-इंद्रिय नहीं जाने  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।

S227, आप कौन हैं? हम अपने को मन-इंद्रिय नहीं जाने -महर्षि मेंहीं S227, आप कौन हैं? हम अपने को मन-इंद्रिय नहीं जाने -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/20/2018 Rating: 5

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