प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S358, इसमें बताया गया है कि संतमत में बहुत समास रूप में ईश्वर का ज्ञान है। मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा । ईश्वर भक्ति या परमात्मा की प्राप्ति के लिए परमात्मा के स्वरुप के ज्ञान होना जरूरी है। परमात्मा मन, बुद्धि आदि जो हमारी ज्ञानेंद्रियां हैं, उससे जानने में नहीं आ सकती। तो वह कैसे जाना जा सकता है, इन सब बातों का खुलासा इस प्रवचन में किया गया है।
प्रवचन चित्र |
प्रवचन चित्र दो |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि संतमत में बहुत समास रूप में ईश्वर का ज्ञान है। मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S358, संतमत में बहुत समास रूप में ईश्वर का ज्ञान -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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6/20/2018
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