प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S357, इसमें बताया गया है कि सब धर्मों का सार है- ईश्वर की भक्ति करो। धर्म में अंधविश्वास गलत है। सभी धर्म आपस में प्रेम करना सद्व्यवहार से रहना और जप, ध्यान के बारे में कुछ न कुछ अवश्य बताता है। इन्हीं सब बातों से संबंधित यह प्रवचन है।
शांति संदेश कवर |
प्रवचन चित्र |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि सब धर्मों का सार है- ईश्वर की भक्ति करो । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S357, सब धर्मों का सार है- ईश्वर की भक्ति करो -सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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6/14/2018
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