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S362, संतमत सत्संग का मुख्य उद्देश्य इस लोक और परलोक में सुखी रहना' -सद्गुरु महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर  S362, इसमें  बताया गया है  कि संतमत सत्संग का मुख्य उद्देश्य इस लोक और परलोक में सुखी रहना है। हम लोग जब तक संसार में रहे, सुख से रहे और संसार से जाने के बाद परम सुखी हो जाएं। इसके लिए इस शरीर में रहते हुए, किन कर्तव्यों का पालन करना है। इसकी जानकारी के लिए ही संतमत सत्संग है। इस प्रवचन में इस पर खुलासा किया गया है।   

प्रवचनांस
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प्रवचन चित्र
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प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो
     प्रभु प्रेमियों ! इस प्रवचन का शेष भाग शुरू में दिए गए शांति संदेश के कबर पर छपा है। गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि    संतमत सत्संग का मुख्य उद्देश्य इस लोक और परलोक में सुखी रहना है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


S362, संतमत सत्संग का मुख्य उद्देश्य इस लोक और परलोक में सुखी रहना' -सद्गुरु महर्षि मेंहीं S362, संतमत सत्संग का मुख्य उद्देश्य इस लोक और परलोक में सुखी रहना' -सद्गुरु महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/11/2018 Rating: 5

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