S390, सबसे बड़ा पाप है--किसी की निंदा करनी। निंदा और कबीर साहब -महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S390, इसमें  बताया गया है कि सबसे बड़ा पाप है--किसी की निंदा करनी। निंदा और कबीर साहब । संत कबीर साहब निंदा के विषय में क्या कहते हैं और गुरु महाराज का क्या विचार है निंदा के विषय में। इस विषय का बहुत अच्छा प्रवचन

शांति संदेश
शांति संदेश


प्रवचन चित्र
प्रवचन चित्र

प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

      प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  सबसे बड़ा पाप है--किसी की निंदा करनी। निंदा और कबीर साहब । संत कबीर साहब निंदा के विषय में क्या कहते हैं और गुरु महाराज का क्या विचार है निंदा के विषय में।  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


S390, सबसे बड़ा पाप है--किसी की निंदा करनी। निंदा और कबीर साहब -महर्षि मेंहीं S390, सबसे बड़ा पाप है--किसी की निंदा करनी। निंदा और कबीर साहब -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/23/2018 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।

Blogger द्वारा संचालित.