S66, (ख) ईश्वर की सेवा और भक्ति कैसे करें ।। महर्षि मेंहीं सत्सग सुधा ।।१२.३.१९५४ई. ।। सत्संग ध्यान

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 66

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर ६६ के बारे में। इसमें बताया गया है कि  ईश्वर की सेवा और भक्ति कैसे करें। ईश्वर की भक्ति क्या है ? ईश्वर की सेवा क्या है? सेवा कैसे करें? सेवा का क्या अर्थ है ? सेवा से क्या मतलब है ? गंगा सेवन क्या है ? इत्यादि बातों की जानकारी इस प्रवचन में मिलेगा। 

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संपूर्ण भक्ति विवरण चित्र
संपूर्ण भक्ति का विवरण

ईश्वर की सेवा और भक्ति कैसे करें

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- धर्मानुरागिनी प्यारी जनता ! ज्ञान का पूरक योग है और योग का पूरक ज्ञान । योग का अर्थ है मिलना और ज्ञान का अर्थ है जानना ।.....   इस तरह प्रारंभ करके गुरुदेव----ज्ञान और योग क्या है? योग किसे कहते हैं? भक्ति क्या है? गंगा सेवन में क्या करते हैं? हमारा शरीर जड़ और चेतन कैसे हैं? साधारण लोग भक्ति और सेवा किसे मानते हैं? मोटी और सूक्ष्म भक्ति क्या है? प्रारंभिक भक्ति और अंतिम भक्ति क्या है? खुदा कैसा है? ईश्वर भक्ति क्यों करनी चाहिए?.....आदि बातों पर विशेष प्रकाश डालते हैं। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए पढ़ें-

६६. ज्ञान योग युक्त ईश्वर भक्ति

ज्ञान और युग की विशेषता युक्त प्रवचन

भक्ति का संपूर्ण उपदेश



भक्ति का संपूर्ण  उपदेश


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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि Saadhaaran log bhakti aur seva kise maanate hain? motee aur sookshm bhakti kya hai?  bhakti kya detee hai?bhakti yog ke prakaar, praarambhik bhakti aur antim bhakti kya hai?  इतनी जानकारी के बाद भी अगर कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।



सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
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S66, (ख) ईश्वर की सेवा और भक्ति कैसे करें ।। महर्षि मेंहीं सत्सग सुधा ।।१२.३.१९५४ई. ।। सत्संग ध्यान S66, (ख) ईश्वर की सेवा और भक्ति कैसे करें ।। महर्षि मेंहीं सत्सग सुधा ।।१२.३.१९५४ई. ।। सत्संग ध्यान Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/25/2018 Rating: 5

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