प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S472, इसमें बताया गया है कि तप, ध्यान और ईश्वर भक्ति तीनों को अच्छी तरह समझे । तपस्या क्या है? तपस्या कैसे करना चाहिए? इत्यादि बातों की जानकारी शास्त्रों में है।इसी तरह ध्यान कैसे करें? ध्यान कितने प्रकार के हैं? ध्यान से क्या फायदा है? आदी बातों की भी जानकारी आप शास्त्रों से जान सकते हैं। इसके साथ ही ईश्वर भक्ति करता है? ईश्वर भक्ति कितने प्रकार की है? इस बारे में भी गुरु महाराज इस प्रवचन में कुछ खुलासा किए हैं?इन सब बातों का ध्यान रखते हुए ईश्वर भक्ति से परम सुख कैसे प्राप्त किया जा सकता है । इसके बारे मेंं समझने के लिए अवश्य पढ़ें।
प्रवचन करते गुरुदेव |
प्रवचन चित्र |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि तप, ध्यान और ईश्वर भक्ति तीनों को अच्छी तरह समझा । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S472, तप, ध्यान और ईश्वर भक्ति तीनों को अच्छी तरह समझे। -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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6/13/2018
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