महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" /26
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 26 वां, भारत देश के, बिहार राज्य के कटिहार जिलांतर्गत संतमत सत्संग मंदिर, मनिहारी में सत्संग कार्यक्रम में दिनांक- 25-10-1952 ई. को प्रात: काल में हुआ था। --पूज्यपाद स्वामी श्री संतसेवी जी महाराज ।
इसमें बताया गया है कि ध्यान में आगे बढ़ने के लिए बहुत जरुरी है झूठ, चोरी, नशा, हिंसा, और व्यभिचार से बचना। सभी कर्म-फलों से बचने के लिए ध्यान करें।ध्यान मे आगे बढ़ने के लिए खान-पान समेत अन्य सभी बातों का भी ध्यान रखना है जो ध्यान करने के लिए जरूरी है अथवा ध्यान में सहायक है।ध्यान में सफलता पर बोलते गुरुदेव |
ध्यान मैं तरक्की के लिए तन मन का शुध्द होना जरूरी है
सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- पाप का नाश करने के लिए ध्यान सर्वोत्तम है। ध्यान की पूर्णता कैसे होती है? इसको समझो। श्रीमद्भागवत पुराण में ध्यान करने के विषय में क्या कहा गया है, उसे भी समझो। ध्यान की सफलता से कर्म मंडलों को पार करके, कर्मों के प्रभाव से बचा जा सकता है । गंगा, जमुना और सरस्वती का संगम क्या है? ध्यान में तरक्की के लिए पापों से बचना आवश्यक है। ध्यान में सफलता का परिचय द्रोणाचार्य की कथा से जाने।ध्यान और एकाग्रता की बातों को केवल जान ले से नहीं होगा। करना पड़ेगा, तब सफलता मिलेगी। नादानुसंधान की साधना जरूरी है पूर्णता के लिए। ध्यान में पूर्णता मोक्ष प्राप्ति का सूचक है। इसका प्रमाण उपनिषद और संतों की वाणीयां हैं। इसे ही ईश्वर दर्शन कहते हैं। इन बातों को बिशेष रूप से जानने के लिए इस प्रवचन को पूरा पढें-
ध्यान अभ्यास में सफलता प्रवचन भाग 1 |
ध्यान में सफलता प्रवचन भाग 2 |
ध्यान में सफलता प्रवचन भाग 3 |
ध्यान में सफलता प्रवचन भाग 4 |
ध्यान में सफलता प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि श्रीमद्भागवत में ध्यान की विधि,भगवान विष्णु का ध्यान,भागवत पुराण - में ध्यान,ध्यान क्यों व कैसे किया जाए,ध्यान की सफलता के लक्षण, ध्यान और सफ़लता,ध्यान सफलता के लिए कुंजी आदि बारे में। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।
आप इस पूरी पुस्तक 'महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर' को डाउनलोड करना या ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं या संतमत के अन्य साहित्यों के सहित गुरु महाराज के सभी साहित्यों को ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं तो यहां दबाएं।
जय गुरु।
S26, (ख) ध्यान मैं तरक्की के लिए तन मन का शुध्द होना जरूरी है --सद्गुरु महर्षि मेँहीँ
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/15/2018
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।