प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S130, वां (ग) में तथा "श्री गीता योग प्रकाश" की भूमिका में बतायें हैं कि 'भगवान ही गुरु हैं' ऐसा कहने वालों से मेरा निवेदन है कि ऐसे विचार गीता एवं भारतीय अध्यात्म विद्या की शिक्षा परंपरा के सर्वथा विरुद्ध है गीता के चौथे अध्याय में लिखा है... पूरा प्रसंग पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "श्रीगीता योग प्रकाश" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि भगवान ही गुरु हैऐसे विचार गीता एवं भारतीय अध्यात्म विद्या की शिक्षा परंपरा के सर्वथा विरुद्ध है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस प्रवचन के शेष भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
S130, (ग) 'भगवान ही गुरु हैं' कहने वाले अवश्य पढ़ें। -- महर्षि मेंही प्रवचन
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/06/2018
Rating: 5
कोई टिप्पणी नहीं:
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।