महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" /23
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 23 वां, भारत देश के, बिहार राज्य के भागलपुर जिलांतर्गत बैकुंठपुर में संतमत सत्संग कार्यक्रम में दिनांक- 18-07-1952 ई. को अपराह्न काल में हुआ था।- स्वामी श्री संतसेवी जी महाराज ।
इस संतमत प्रवचन में आप जानेंगे-- सुख-स्वरूप परमात्मा की भक्ति कैसे करे। ध्यानयोग की महिमा,ध्यान की महिमा,सुख किसे कहते हैं,सुख की परिभाषा,सबसे बड़ा सुख क्या है,सच्चा सुख क्या है,वास्तविक सुख क्या है,जीवन का वास्तविक सुख,सुख का मतलब,दुःख क्या है,दुख की परिभाषा,दुख के प्रकार,दुःख का अर्थ, दुख क्या है,दुख क्यों होता है,दुःख क्यों आता है,सुख और दुख में क्या अंतर है,नवधा भक्ति,नवधा भक्ति का स्वरूप,नवधा भक्ति के अंग, आदि के बारे में।
सुख-दुख और नवधा भक्ति पर प्रवचन करते गुरुदेव |
How to do devotion to the divine form of happiness
सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि--सभी मनुष्य अपनी इंद्रियों के अनुकूल काम को सुख कहते हैं और इसके विपरीत को दुख। इंद्रियों से जो ज्ञान होता है वह माया है, झूठा है। सब दिन एक समान रहने वाला नहीं है। इसलिए संतों की दृष्टि में आत्म सुख ही सर्वश्रेष्ठ है। आत्म सुख प्राप्त करने के लिए इंद्रियों के पकड़ से बाहर जाना होगा। इसके लिए रामचरितमानस में वर्णित नवधा भक्ति श्रेष्ठ है और संतो ने दृष्टि योग और नादानुसंधान की साधना बताया है। इस पर विशेष चर्चा किया गया है। इन बातों को बिशेष रूप से जानने के लिए इस प्रवचन को पूरा पढें-
सुख-दुख और नवधा भक्ति प्रवचन चित्र एक |
सुख-दुख और नवधा भक्ति प्रवचन चित्र दो |
सुख-दुख और नवधा भक्ति प्रवचन चित्र 3 |
सुख-दुख और नवधा भक्ति प्रवचन चित्र 4 |
सुख-दुख और नवधा भक्ति प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि दुख क्या है,दुख क्यों होता है,दुःख क्यों आता है,सुख और दुख में क्या अंतर है,नवधा भक्ति,नवधा भक्ति का स्वरूप आदि बारे में। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।
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जय गुरु।
S23, How to do devotion to the divine form of happiness. --सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/24/2018
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