महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 382
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 382वां, इसमें बताया गया है कि आवागमन क्यों होता है? सत्संग में होनेवाला कष्ट लाभदायक है ।
सत्संग में होने वाला कष्ट लाभदायक |
सत्संग में कष्ट सहना लाभदायक है।
मनुष्य के जीवन में सत्संग कितना जरूरी है? सत्संग से इस लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं । अगर सत्संग करने में कुछ कष्ट भी होता है, तो उसको सहना चाहिए। सत्संग करने से ज्यादा सुख ही प्राप्त होता है, दुख कम ही मिलते हैं। सबसे बड़ा दुख है- आवागमन का चक्र। जो सत्संग से छूट जाता है। धीरे धीरे ही सही, लेकिन इसका अभ्यास कर लेने से व्यक्ति सभी दुखों से 1 दिन पूर्णरूपेण मुक्ति पा लेता है।
आवागमन का प्रमाण |
आवागमन क्यों होता है?
मरने के पहले प्रत्येक व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती हैं। जो इच्छाएं अत्यंत बलवती और प्रबल होती है, उसमें चित्त लगा रहता है। उसकी पूर्ति के लिए जीवात्मा पुनः शरीर धारण कर लेता है। इस तरह आवागमन का चक्कर लगा रहता है। आवागमन होने के और भी कारण हो सकते हैं। अंत मति सो गति।
दुख सुख |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि आवागमन क्यों होता है? सत्संग में होनेवाला कष्ट लाभदायक है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
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S382, आवागमन क्यों होता है? सत्संग में होनेवाला कष्ट लाभदायक है -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
9/14/2018
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