S500, ईश्वर-भक्ति में गुरु की आवश्यकता और सत्संग के लाभ -महर्षि मेंहीं

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 500

       प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 500 वां,इसमें बताया गया है कि सत्संग करने के फायदे, अंदर में ईश्वर-भक्ति और गुरु की आवश्कता के बारे में।

पूज्य पाद गुरुदेव भागीरथ बाबा की गोद में, सद्गुरु महर्षि मेंही।
पूज्यपाद गुरुदेव भगीरथ बाबा की गोद में


 सत्संग की विशेषता

      गुरु महाराज इस प्रवचन में बताते हैं कि सत्संग करने से ही आदमी का सुधार हो सकता है। कानून और कई तरह के बातें होते ही रहते हैं, लेकिन अनैतिक काम भी होते रहते हैं। लेकिन सत्संग के द्वारा लोगों में सुधार अवश्य ही हो जाता है। इसके बहुत से उदाहरण है। पढ़ें-

सत्संग के लाभ, सत्संग की महिमा,
सत्संग के लाभ

अंदर में ईश्वर-भक्ति और गुरु

     ईश्वर भक्ति बाहर में नहीं अंदर में करें। अंदर में भक्ति कैसे करें? इस के लिए गुरु की आवश्यकता कितनी है? आप समझ सकते हैं बिना गुरु के आप क्या करेंगे कैसे ईश्वर भक्ति करना है ? गुरु के बिना इसकी कुछ जानकारी ही नहीं हो पाएगी। इसको जानने के लिए गुरु की अत्यंत आवश्यकता है।


ईश्वर भक्ति और गुरु की आवश्यकता
ईश्वर भक्ति और गुरु की आवश्यकता

     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  ईश्वर-भक्ति में गुरु की आवश्यकता और सत्संग के लाभके बारे में  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। 


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2 टिप्‍पणियां:

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