S296, रामचरितमानस और महर्षि मेंहीं/गुरु महाराज का उपदेश

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" / 296 

       प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 296 वां, इसमें बताया गया है कि रामचरितमानस की विशेषता क्या है विशेष रूप से जानने के लिए आईये इस प्रवचन का पाठ करें-

सद्गुरु महर्षि मेंही,
. सद्गुरु महर्षि मेंही




सद्गुरु महर्षि मेंहीं और रामचरितमानस

      गुरु महाराज इस प्रवचन में अपने मानस प्रेम के बारे में बताते हुए कहते हैं-

रामचरितमानस और महर्षि मेंही
रामचरितमानस और महर्षि मेंही

निर्गुण ब्रह्म और माया
निर्गुण ब्रह्म और माया

निर्गुण ब्रह्म की महिमा
निर्गुण ब्रह्म की महिमा

रामचरितमानस में ज्ञान योग की बातें
रामचरितमानस में ज्ञान योग की बातें

गुरु महाराज का उपदेश
गुरु महाराज का उपदेश

      प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि रामचरितमानस की विशेषता क्या है  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। 

  
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S296, रामचरितमानस और महर्षि मेंहीं/गुरु महाराज का उपदेश S296, रामचरितमानस और महर्षि मेंहीं/गुरु महाराज का उपदेश Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/09/2018 Rating: 5

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