S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" /30

      प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 30 वां, भारत देश के, बिहार राज्य के सहरसा जिलांतर्गत, संतमत सत्संग बिशेषाधिवेशन में आयोजित संतमत सत्संग कार्यक्रम में दिनांक- 08-11-1952 ई. को खापुर ग्राम में प्रात: काल  हुआ था। --पूज्यपाद स्वामी श्री संतसेवी जी महाराज   ।
इस संतमत प्रवचन में आप जानेंगे--सत्संग क्या है,सत्संग ज़रूर जाना,सत्संग की महिमा क्या है,सुख और दुःख की विचित्र बातें,सत्संग संतवाणी,सत्संग की महिमा,सत्संग प्रवचन कथा,सत्संग को परिभाषित करो,सत्संग का लाभ,सत्संग बनाता है जीवन को उज्ज्वल,दुःख का मूल कारण क्या है, मनुष्य के जीवन में दुख,दुखों का निवारण,दुःख क्यों आता है,दुख की परिभाषा,दुःख के प्रकार,त्रिविध दुःख क्या है,संतमत में ईश्वर की स्थिति,ज्ञानियों ने ईश्वर की स्थिति को माना,ईश्वर का अस्तित्व,ईश्वर कौन है कहाँ है कैसा है,ईश्वर कौन है,ईश्वर की सर्वज्ञता पर प्रकाश,ईश्वर का स्वरूप कैसा है,ईश्वर प्राणी धान,  आदि के बारे में

S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं। संतो के संग पर चर्चा करते गुरुदेव
संतो के संग पर चर्चा करते गुरुदेव

Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings

सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि--  संतो की पहचान दुर्लभ है। तुलसी साहब कहते हैं- 'जो कोई कहै संत को चीन्हा। तुलसी हाथ कान पर दीन्हा।।' संत कैसे होते हैं? जो पहुंचे हुए संत होते हैं, उनके संग को ही सत्संग कहते हैं। सत्संग भगवान का निज अंग है। मनुष्य माता के गर्भ से ही दुख उठाते हुए आगे बढ़ता है और विभिन्न तरह के विकारों में इसके विभिन्न तरह के भोगों को भोगता है। संतों का ज्ञान इनसे छूटने के लिए होता है । जो सत्संग से मिलता है। सत्संग से ईश्वर स्वरुप का ज्ञान होता है और ईश्वर-भक्ति करके मोक्ष। इन बातों को बिशेष रूप से जानने के लिए इस प्रवचन को पूरा पढें--

S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं। सत्संग को समझें प्रवचन भाग 1
सत्संग को समझें प्रवचन भाग 1

S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं। सत्संग को समझें प्रवचन भाग 2
सत्संग को समझें प्रवचन भाग 2

S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं। सत्संग को समझें प्रवचन भाग 3
सत्संग को समझें प्रवचन भाग 3

S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं। सत्संग को समझें प्रवचन समाप्त
सत्संग को समझें प्रवचन समाप्त

प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि सत्संग क्या है,सत्संग ज़रूर जाना,सत्संग की महिमा क्या है,सुख और दुःख की विचित्र बातें,सत्संग संतवाणी,सत्संग की महिमा,सत्संग प्रवचन कथा,सत्संग को परिभाषित करो,सत्संग का लाभ,सत्संग बनाता है जीवन को उज्ज्वल आदि बारे में। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का  सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।


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जय गुरु।

S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं S30, Knowledge of devotion to saints and satsangs and relief from worldly sufferings --सदगुरु महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 9/20/2019 Rating: 5

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