S103, (ख) संतमत सत्संग में वार्य और अनिवार्य हिंसा ।। सद्गुरु महर्षि मेंहीं प्रवचन ।। 27-02-1955 ई. मुंगेर

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 103

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर १०३वां, के बारे में। इसमें  vaary hinsa, anivaary hinsa, eeshvar-svaroop aur bhojan ka prabhaav kee jaanakaaree dee gaee hai.

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संतमत सत्संग में वार्य और अनिवार्य हिंसा पर प्रवचन करते हुए सद्गुरु महर्षि मेंहीं
सद्गुरु महर्षि मेंही

संतमत सत्संग में वार्य और अनिवार्य हिंसा

 सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि-  प्योरे लोगो ! संतमत के सत्संग से बारम्बार कहा जाता है कि ईश्वर के लिए प्रत्येक को ऐसा ज्ञान रखना चाहिए कि वह आत्मगम्य है , इन्द्रियगम्य नहीं । .....इस तरह प्रारंभ करके गुरुदेव---- 
Diseases from contaminated food, psychological causes of domestic violence, how many types of violence are there, importance of food, what causes of violence, food choices, food side effects, causes of crime, ways to prevent crime, write down the side effects of food  , What is violence, causes of violence, definition of violence, distinctions of violence,
.......आदि बातों पर विशेष प्रकाश डालते हैं। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए पढ़ें-

 १०३ . वार्य हिंसा को छोड़ो

संतमत सत्संग में ईश्वर स्वरूप और वार्य, अनिवार्य हिंसा




Guru maharaj ka pravachan

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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि दूषित भोजन से रोग, घरेलू हिंसा के मनोवैज्ञानिक कारण, हिंसा कितने प्रकार की होती है, भोजन का महत्व, हिंसा के क्या कारण है, भोज्य पदार्थ के चुनाव, भोजन के दुष्प्रभाव,  इतनी जानकारी के बाद भी अगर कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।




सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
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S103, (ख) संतमत सत्संग में वार्य और अनिवार्य हिंसा ।। सद्गुरु महर्षि मेंहीं प्रवचन ।। 27-02-1955 ई. मुंगेर S103, (ख) संतमत सत्संग में वार्य और अनिवार्य हिंसा ।। सद्गुरु महर्षि मेंहीं प्रवचन ।। 27-02-1955 ई. मुंगेर Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/06/2017 Rating: 5

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