प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के प्रवचन संग्रह ग्रंथ है महर्षि मेंही सत्संग सुधा सागर के प्रवचन 51 वें गुरु महाराज किस तरह से बताते हैं कि प्रेम ही भक्ति है या कुछ और? क्योंकि बहुत से लोगों ने प्रेम ही ईश्वर है, प्रेम ही भक्ति है, प्रेम ही दुनिया में सब चीज है, आदि सब चीज प्रेम को ही बता दिया है। तो मन में शंका होती है कि आखिर सही बात क्या है अगर हमें ईश्वर की भक्ति करना है, तो हमको सही बात समझना पड़ेगा । सही बात समझने के लिए गुरु महाराज के प्रवचन को पूरे मनोयोग से पढ़े। पहले गुरु महाराज का दर्शन करें फिर प्रवचन पढ़ेंगे-
सद्गुरु महर्षि मेंहीं
प्रवचन परिचय।
प्रवचन चित्र एक
प्रवचन चित्र 2
प्रवचन चित्र 3
प्रवचन चित्र समाप्त
प्रभु प्रेमियों ! इस प्रवचन को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि ईश्वर की भक्ति क्या है? अगर इसके बाद भी कुछ मन में शंका है, तो गुरु महाराज के वचनों द्वारा "सत्संग ध्यान स्टेप बाय स्टेप" समझने का एक ब्लॉग है। उसका लिंक मैं यहां दे रहा हूं, वहां जाकर आप अपने शंका समाधान कर सकते हैं। ब्लॉग पर जाने के लिए। यहां दबाएं।
इस ब्लाक के सभी लेखों को पढ़ने के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका रहती है तो कमेंट करें। हम आपको जवाब देंगे, गुरु महाराज के वचनों द्वारा ही। जिनको उपर्युक्त प्रवचन पढ़ने में दिक्कत है वह कृपया यह वीडियो देखें।
सदगुरु महाराज के प्रवचन सीरीज के इस पोस्ट में इतना ही। फिर मिलेंगे दूसरे प्रवचन में तब तक के लिए जय गुरु महाराज।
S51, प्रेम ही भक्ति है या कुछ और? जाने शास्त्रीय बात -सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
2/02/2018
Rating: 5
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प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।
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