प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S442, इसमें बताया गया है किमैं मोक्ष नहीं चाहता। जैसे- बच्चे से प्रेम करने के कारण माता-पिता उनके साथ हमेशा रहना चाहते हैं । उसी तरह गुरु महाराज अपने शिष्यों से प्रेम करने के कारण कहते हैं कि मैं एकदम मोक्ष नहीं चाहता, बार-बार संसार में आकर के बहुत से शिष्यों को अपने साथ ले जाऊंगा। यह प्रवचन महर्षि मेंही वचनामृत का 105वां प्रवचन है जिसमें गुरु महाराज कहते हैं- .
गुरुदेव की मूर्ति |
प्रवचन चित्र |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! इस प्रकार गुरु महाराज के दर्शन और प्रवचन का पाठ करके आप लोग समझ गए होंगे कि गुरु महाराज अपने भक्तों से कितना प्रेम करते हैं । जिस कारण से वे परमात्म-सुख यानी मोक्ष को भी नहीं चाहते और बार-बार संसार में आकर अपने सेवकों का कल्याण करना चाहते हैं। इतनी जानकारी के बाद भी अगर कुछ प्रश्न है, कोई शंका है, तो कमेंट करें । नीचे इसी प्रवचन का पाठ किया वीडियो है । इसे भी देखे,सुने पढ़ें।
S442, गुरु महाराज का प्रवचन- मैं मोक्ष नहीं चाहता. -सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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3/14/2018
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