S449, संतो के विचारानुकूल रहते हुए सुख पाओ -सद्गुरु महर्षि मेंही

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं--संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S449, इसमें  बताया गया है कि संतो का चित्त बड़ा सरल होता है । चाहिए कि संतों के कहें अनुकूल, चाहे किसी भाषा में उनका ज्ञान हो, उस जान को जानते हुए अपने शरीर में रहते हुए सुख प्राप्त करो । ख्याल रखना- कौन सा सुख ? जिसको स्वर्ग या बहिश्त सुख कहते  हैं, जिसके साथ दुख लगा है, सो नहीं, मोक्ष यानी नजात् का सुख चाहिए। यह साधारण ज्ञान में नहीं है, संतो के ज्ञान में है। कहने और सुनने में ही यह पूरा नहीं हो सकता। आइए इस प्रवचन का पाठ करने के पहले गुरु महाराज का दर्शन करें

सिंहासनासीन गुरुदेव
सिंहासनासीन गुरुदेव



प्रवचन चित्र
प्रवचन चित्र

प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

    प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने गुरु महाराज के प्रवचन का पाठ करके जाना कि संतों के अनुकूल रहते हुए ही हम परमसुख मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। इतनी जानकारी के बाद भी अगर किसी प्रकार का कोई शंका या प्रश्न है, तो कमेंट करें। जय गुरु महाराज।


S449, संतो के विचारानुकूल रहते हुए सुख पाओ -सद्गुरु महर्षि मेंही S449, संतो के विचारानुकूल रहते हुए सुख पाओ -सद्गुरु महर्षि मेंही Reviewed by सत्संग ध्यान on 4/09/2018 Rating: 5

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