प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S429, इसमें बताया गया है कि गुरु की आवश्यकता और सत्संग की विशेषता क्या है? हम लोगों को गुरु क्यों बनाना चाहिए ? गुरु की क्या आवश्यकता है ? गुरु नहीं रहने पर हम लोग को क्या-क्या नुकसान हो सकता है? इत्यादि बातों के साथ सत्संग रोज करना चाहिए और सत्संग का सही स्वरूप क्या है? और अगर कोई संत महात्मा नहीं रहे तो सत्संग कैसे कर सकते हैं? इत्यादि बातों के साथ ईश्वर के स्वरूप का भी चर्चा है।
पूज्य गुरुदेव |
प्रवचन चित्र |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने गुरु महाराज के प्रवचन का पाठ करके जाना कि सत्संग की महिमा क्या है? गुरु का होना हमारे जीवन में कितना जरूरी हैं ? गुरु कैसा होना चाहिए। इतनी जानकारी के बाद भी किसी प्रकार का कोई प्रश्न या शंका है, तो टिप्पणी करें। अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें। जिससे वह भी लाभ ले सकें।
S429, गुरु की आवश्यकता और सत्संग की विशेषता -सद्गुरु महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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5/09/2018
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