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S163, संसार में सुखी रहने का तरीका और ईश्वर भक्ति -महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर  S163, इसमें  बताया गया है  कि संसार में सुखी रहने का तरीका और ईश्वर भक्ति। मनुष्य शरीर में जब तक है तब तक कैसे सुख से रह सकते हैं। घर का निती, समाज का निती, देश का निती, एवं महासंघ की नीति इन सब नीतियों का पालन करते हुए संसार में हम किस तरह से रहें। जिससे इस लोक में भी सुखी और मारकर जाने पर अर्थात परलोक में जाने पर भी हम सुखी रह सके। इस पर प्रकाश डालते हुए ईश्वर भक्ति कैसे करना है। इस विषय का प्रवचन। 

प्रवचन चित्र
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प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो

प्रवचन चित्र 3
प्रवचन चित्र 3

प्रवचन समाप्त
प्रवचन समाप्त

     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  संसार में सुखी रहने का तरीका और ईश्वर भक्ति के बारे मैं जाना  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


S163, संसार में सुखी रहने का तरीका और ईश्वर भक्ति -महर्षि मेंहीं S163, संसार में सुखी रहने का तरीका और ईश्वर भक्ति  -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/16/2018 Rating: 5

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