प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S376, इसमें बताया गया है कि संतमत का सिद्धांत- गुरु, ध्यान और सत्संग है। संतमत जीवों के परम कल्याण के लिए है । संतमत का सिद्धांत अत्यंत छोटा है, जिसमें मुख्य है- गुरु, ध्यान और सत्संग । इन तीनों को पकड़ लेने से बाकी का विस्तार अपने आप समझ में आ जाता है । सत्संग की बातें करने के लिए होती है। केवल कहने और सुनने के लिए नहीं। संतमत सत्संग की क्या विशेषता है, हमारे जीवन में? इन्हीं बातों की चर्चा इस प्रवचन में है।
शांति संदेश
प्रवचन
समाप्ति प्रवचन
सुक्ति-कण
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि संतमत का सिद्धांत- गुरु, ध्यान और सत्संग है। संतमत जीवों के परम कल्याण के लिए है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S376, संतमत का सिद्धांत- गुरु, ध्यान और सत्संग -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/09/2018
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प्रभु प्रेमियों! कृपया वही टिप्पणी करें जो सत्संग ध्यान कर रहे हो और उसमें कुछ जानकारी चाहते हो अन्यथा जवाब नहीं दिया जाएगा।
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