प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S208, इसमें बताया गया है कि संत और सच्चे सद्गुरु की पहचान तथा सत्संग की विशेषता क्या-क्या है। सच्चे सद्गुरु या संत का मिलना बड़ा दुर्लभ है। इसलिए गुरु महाराज कुछ ऐसे उपाय बताए हैं, जिससे कि सभी लोग आसानी से सच्चे सद्गुरु और संत को पहचान सकें और उनसे उचित लाभ ले । इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि संत और सच्चे सद्गुरु की पहचान तथा सत्संग की विशेषता क्या-क्या है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S208, (ख) संत और सच्चे सद्गुरु की पहचान तथा सत्संग की विशेषता -महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
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6/29/2018
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