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S72, (ख) मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा ।। महर्षि मेंहीं प्रवचन ।। मिरजानहाट, भागलपुर

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर / 72

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के हिंदी प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर ७२ के बारे में। इसमें बताया गया है कि  मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा । ईश्वर भक्ति या परमात्मा की प्राप्ति के लिए परमात्मा के स्वरुप के ज्ञान होना जरूरी है। परमात्मा मन, बुद्धि आदि जो हमारी ज्ञानेंद्रियां हैं, उससे जानने में नहीं आ सकती। तो वह कैसे जाना जा सकता है, इन सब बातों का खुलासा इस प्रवचन में किया गया है

इसी प्रवचन को लेख रूप में पढ़ने के लिए   यहां दवाएं।

ईश्वर स्वरूप का वर्णन करते सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज
ईश्वर स्वरूप का वर्णन कर्ता महर्षि मेंही

मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा 

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि- प्यारे सज्जनो ! संतों के ज्ञान में सबसे विशेष बात ईश्वर का ज्ञान है , मोक्ष का ज्ञान है । यद्यपि दोनों वाक्य पृथक - पृथक मालूम होते हैं , किंतु दोनों दो नहीं , एक ही हैं ज्ञान के साथ योग रहता है और योग के साथ भक्ति रहती है ।..... इस तरह प्रारंभ करके गुरुदेव----The mind, intellect etc. is beyond the knowledge of the senses.  Knowledge of the nature of God is necessary for devotion or attainment of God.  The divine mind, intellect, etc., which are our knowledge centers, cannot come to know from them.  So how can it be known,......आदि बातों पर विशेष प्रकाश डालते हैं। इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए निम्नलिखित चित्र में पढ़ें-

संतों की वाणी में ईश्वर स्वरूप का वर्णन कैसे किया गया है इस पर चर्चा करते गुरुदेव

संतो के वाणी में ईश्वर स्वरूप का चर्चा करते गुरुदेव

संतो के बारे में ईश्वर स्वरूप कैसा है इस पर चर्चा करते गुरुदेव


इस प्रवचन के बाद वाले प्रवचन नंबर 73 को पढ़ने के लिए   यहां दबाएं


प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा । ईश्वर भक्ति या परमात्मा की प्राप्ति के लिए परमात्मा के स्वरुप के ज्ञान होना जरूरी है। परमात्मा मन, बुद्धि आदि जो हमारी ज्ञानेंद्रियां हैं, उससे जानने में नहीं आ सकती।   इतनी जानकारी के बाद भी अगर कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। उपर्युक्त प्रवचन का पाठ निम्न वीडियो में किया गया है।




सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
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S72, (ख) मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा ।। महर्षि मेंहीं प्रवचन ।। मिरजानहाट, भागलपुर S72, (ख) मन, बुद्धि आदि इंद्रियों के ज्ञान से परे है परमात्मा ।। महर्षि मेंहीं प्रवचन ।। मिरजानहाट, भागलपुर Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/20/2018 Rating: 5

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