महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" /32
इस संतमत प्रवचन में आप जानेंगे--ईश्वर भक्ति क्यों करें,भक्ति करने के तरीके, भक्ति कैसे की जाती है,भगवान की भक्ति कैसे करें,भक्ति का अर्थ क्या है,भक्ति का स्वरूप,भक्ति किसे कहते है,ईश्वर भजन,भक्ति का महत्व,ईश्वर की सच्ची भक्ति,वास्तव में सच्ची भक्ति क्या है,ईश्वर भक्ति की आवश्यकता,भक्ति कोटेशन,भक्ति के प्रकार,ईश्वर-भक्ति और जीवन-विकास,ईश्वर और परमात्मा,परमात्मा की प्राप्ति के उपाय,ईश्वर की प्राप्ति कैसे हो,भक्ति से ही परमात्मा की प्राप्ति, परमात्मा का ध्यान,ईश्वर कौन है,ईश्वर और भगवान में अंतर,ईश्वर के बारे में क्या कहते हैं हिन्दू ,सबसे बड़ा ईश्वर कौन है,सच्चा ईश्वर कौन है,ईश्वर का स्वरूप आदि के बारे में।
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ईश्वर भक्ति क्यों और कैसे करें |
What is the need for devotion and satsang?
सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं कि-- ईश्वर भक्ति क्यों करें? इसकी आवश्यकता क्यों है? मन को विषयों से रोकने के लिए ईश्वर भक्ति करना जरूरी है। जीव काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से ग्रसित होकर दुख भोगता रहता है। इससे छूटने के लिए भक्ति की आवश्यकता है। प्रकृति क्या है? पुरुष क्या है? ईश्वर और परमात्मा एक ही बात है़। ईश्वर का स्वरूप कैसा है ? इसको भी समझिए। नास्तिक लोग ईश्वर को नहीं मानते, हमलोग मानते हैं। भेड़- बकरी चराने वाले गड़ेरिये की कथा। भक्ति करने का रास्ता तलवार की धार से भी सूक्ष्म है। भक्ति का प्रारंभ मानस जप और मानव ध्यान से करना चाहिए। भक्ति में तरक्की के लिए गुरु भक्ति आवश्यक है । शिवाजी के गुरु भक्ति। भक्ति की पराकाष्ठा शब्द ध्यान से होती है। इसके पहले ज्योति दर्शन होता है। इन बातों को बिशेष रूप से जानने के लिए इस प्रवचन को पूरा पढें--
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ईश्वर भक्ति पर विशेष प्रवचन भाग 1 |
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ईश्वर भक्ति पर विशेष प्रवचन भाग 2 |
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ईश्वर भक्ति पर विशेष प्रवचन भाग 3 |
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ईश्वर भक्ति पर विशेष प्रवचन भाग 4 |
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ईश्वर भक्ति पर विशेष प्रवचन भाग 5 |
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ईश्वर भक्ति पर विशेष प्रवचन भाग 6 |
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ईश्वर भक्ति पर विशेष प्रवचन समाप्त |
इसी प्रवचन को शांति संदेश में प्रकाशित किया गया है उसे पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
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