प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-- संतमत सत्संग के महान प्रचारक
सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "
महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर 130 वां, के बारे में । इसमें बताया गया है कि
ईश्वर का स्वरूप कैसा है? ईश्वर-भक्ति की आवश्यकता क्यों है? शांतिमत सुख की प्राप्ति कैसे हो सकती है? आदि बातें। तो आईए निम्नलिखित चित्रों में गुरु महाराज के प्रवचन का पाठ करें।
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ध्यानस्त गुरु महाराज |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि '
ईश्वर-भक्ति की आवश्यकता क्यों है? ईश्वर भक्ति क्यों जरूरी है? मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य क्या है? शांति कैसे प्राप्त होती है? सत्संग करना क्यों जरूरी है ? संतो ने भक्ति किस तरह की है ? संसार में बोझ बन के रहते हुए या स्वावलम्बी लंबी सिस्टम से, इत्यादि ब इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का
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