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S326, (क) मनुष्य जीवन की सफलता ज्ञान योग युक्त ईश्वर भक्ति में है। -सद्गुरु महर्षि मेंहीं

प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S326, इसमें  बताया गया है कि  जीवन में सफलता कैसे पाएं ? How to get success in life. मनुष्य जीवन का परम प्राप्तव्य मोक्ष प्राप्त करना अर्थात ईश्वर, परमात्मा को प्राप्त करना है। इसके लिए सबसे पहले ईश्वर का ज्ञान होना चाहिए। फिर वहां तक कैसे पहुंचेंगे इसकी जानकारी होनी चाहिए । जो सच्चे सद्गुरु से मिल सकता है । फिर सत्संग उसमें बराबर प्रेरणा के लिए चाहिए, सत्संग में जानकारी होती है कि ज्ञान योग युक्त ईश्वर भक्ति से ही मनुष्य अपने जीवन के असली प्राप्तव्य ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।  यही इस प्रवचन का मुख्य लक्ष्य है।अगर हम को जीवन में सफलता चाहिए, तो गुरु के अनुसार चलना ही पड़ेगा । जिसका जैसा गुरु होगा उसको वैसी ही सफलता प्राप्त होगी। अगर जीवन के हर दुखों से पार जाना है, तो संत सदगुरु की आज्ञा का पालन करना ही होगा। इस जीवन का मुख्य लक्ष्य मोक्ष बनाना चाहिए ।  गुरु के आज्ञा के अनुसार चलने से ही ईश्वर, परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है और हम लोग हर तरह के दुख से छूठ सकते हैं । गुरु महाराज की आज्ञा क्या-क्या है ?  संसार में रहते समय हमको क्या करना चाहिए और जब इस संसार से विरत होने का समय हो अर्थात भजन करने का समय हो उस समय हम को किस तरह से रहना चाहिए

शांति संदेश कबर
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प्रवचन चित्र
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प्रवचन चित्र दो
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     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  जीवन में सफलता कैसे पाएं ? How to get success in life.   । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस प्रवचन के शेष भाग को पढ़ने के लिए            यहां दबाएं


S326, (क) मनुष्य जीवन की सफलता ज्ञान योग युक्त ईश्वर भक्ति में है। -सद्गुरु महर्षि मेंहीं S326, (क) मनुष्य जीवन की सफलता ज्ञान योग युक्त ईश्वर भक्ति में है। -सद्गुरु महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 7/18/2018 Rating: 5

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