प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S326, इसमें बताया गया है कि ध्यान योग करें या हठयोग । गुरु महाराज के प्रवचन और श्री गीता जो प्रकाश में वर्णन है कि भगवान श्री कृष्ण ध्यान योग को ज्यादा महत्व देते हैं। क्योंकि ध्यान योग का गीता में 1 अध्याय है, हठ योग का कोई अध्याय नहीं है। ध्यान योग के बारे में बताया गया है कि कैसे बैठना चाहिए, जमीन पर क्या बिछाना चाहिए, किस दिशा में बैठना चाहिए इत्यादि बातें का विस्तार से चर्चा है, लेकिन हठयोग के बारे ऐसा नहीं है। फिर भी हठयोग में भी बहुत लोग पारंगत हैं और उचित मार्गदर्शन के द्वारा इससे भी लाभ उठाते हैं। इसके साथ ही इस साधना में किसी तरह का गड़बड़ी होने से स्वास्थ्य खराब हो जाता है, इस तरह की बातें हैं। अब अगर किन्ही को हटयोग के पारंगत गुरु हैं तो उनको हठयोग करना चाहिए नहीं तो ध्यान योग सरल है और निरापद है । यह सभी कोई कर सकते हैं। योगासनों में कौन-सा आसन श्रेष्ठ है? योग क्या है? योग करने के क्या लाभ हैं ? बहुत तरह के योगों में सबसे श्रेष्ठ कौन सा योग है ? योग की शिक्षा को स्टेप बाय स्टेप कैसे समझ सकते हैं? इस प्रवचन के पहले भाग को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रवचन चित्र 4 |
प्रवचन समाप्त |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ध्यान योग करें या हठयोग । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
S63, (ख) ध्यान योग करें या हठयोग+सिद्धि-शक्ति का महत्व -सद्गुरु महर्षि मेंही प्रवचन
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/19/2018
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