S130, (क), ईश्वर भक्ति की आवश्यकता है क्योंकि -महर्षि मेंहीं

      प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के इस प्रवचन सीरीज में आपका स्वागत है। आइए आज जानते हैं-संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) प्रवचन संग्रह "महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर" के प्रवचन नंबर S130, वां (क)  में  बताया गया है कि   राम राज्य में भी ईश्वर भक्ति की आवश्यकता है, क्योंकि ईश्वर भक्ति की पूर्णता भगवान के निर्गुण निराकार के दर्शन से ही होता है। देखें 'श्रीगीता योग प्रकाश' (गुरु महाराज लिखित) का 12 वां अध्यायवीडियो नंबर G12, । प्रस्तुत प्रवचन में ईश्वर भक्ति की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए भगवान श्री राम के द्वारा दिए गए उपदेश पर व्याख्या किया गया है।

प्रवचन चित्र एक
प्रवचन चित्र एक


प्रवचन चित्र दो
प्रवचन चित्र दो

प्रवचन चित्र 3
प्रवचन चित्र 3

      प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के इस प्रवचन का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  राम राज्य में भी ईश्वर भक्ति की आवश्यकता है, क्योंकि ईश्वर भक्ति की पूर्णता निर्गुण निराकार पर ही है  । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस प्रवचन के शेष भाग को पढ़ने के लिए
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S130, (क), ईश्वर भक्ति की आवश्यकता है क्योंकि -महर्षि मेंहीं S130, (क), ईश्वर भक्ति की आवश्यकता है क्योंकि -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 8/04/2018 Rating: 5

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